झाँसी में संघर्ष सेवा समिति के कार्यालय में उस दिन एक खास रौनक थी। फूलों की खुशबू, चेहरे पर मुस्कान और मन में भावनाओं का समंदर जैसा मौका था लक्ष्मी गेट निवासी नीतू भरतेले की विदाई का — लेकिन यह कोई आम विदाई नहीं थी, यह एक शाही विदाई थी, जो सम्मान, स्नेह और सेवा की मिसाल बन गई।
पिता लक्ष्मी नारायण के कठिन परिश्रम और सीमित संसाधनों के बीच जब नीतू की शादी की तैयारियाँ अधूरी लग रही थीं, तभी संघर्ष सेवा समिति एक मजबूत संबल बनकर सामने आई। समिति के संस्थापक डॉ. संदीप से हुई नीतू की एक मुलाकात ने उसकी शादी की तस्वीर ही बदल दी। वादा किया गया — और निभाया भी गया।
विवाह के दिन, कलर्स ब्यूटी पार्लर से सजी-धजी नीतू जब संघर्ष सेवा समिति के कार्यालय पहुंचीं, तो वहाँ का नजारा कुछ और ही था। जैसे किसी रानी का स्वागत हो रहा हो। डॉ. संदीप एवं समिति के सदस्यों ने विधिवत पांव पखारकर नीतू का स्वागत किया — वह क्षण मानो एक परंपरा को आधुनिक युग में जीता हुआ अनुभव था।
ट्रॉली बैग, किचन सेट, साड़ियाँ, और ढेरों उपहारों से सजी नीतू की झोली, और दिल को छू जाने वाली विदाई ने वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दीं। नीतू के शब्द थे —
“डॉ. संदीप भईया जैसे लोग इस समाज के लिए वरदान हैं। संघर्ष सेवा समिति ने मुझे वह सम्मान दिया है, जो शायद हर बेटी का सपना होता है।”
इस भावुक और गरिमामय समारोह में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे — राधा प्रजापति, मनोज रेजा, बसंत गुप्ता, सुशांत गुप्ता, भूमि, शरद वर्मा, घनश्याम कुशवाहा, सतनाम सिंह काके, और अनेक सहयोगीगण।
संघर्ष सेवा समिति का यह कार्य न केवल एक विवाह की मदद है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देता है कि सम्मान, सहयोग और संवेदना की परंपरा आज भी जीवित है — और जब तक ऐसे डॉ. संदीप जैसे लोग हैं, हर नीतू का सपना साकार होता रहेगा।