झांसी = जब विस्तार केवल विस्तार न रह जाए, बल्कि एक दृष्टिकोण बन जाए — तो वह होता है सनफ्रांस ग्रुप। भारत की मिट्टी से उठकर, अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर अपने परचम लहराने वाली इस बहुआयामी कंपनी ने रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे जीवन के मूल स्तंभों में न केवल स्थान बनाया है, बल्कि अपनी अमिट छाप भी छोड़ी है।
आज सनफ्रांस ग्रुप का नेटवर्क तीन देशों, 11 शहरों, 24 भव्य परियोजनाओं और 9,000 से अधिक इकाइयों तक फैल चुका है — यह केवल आंकड़े नहीं, बल्कि उस विजन की जीवंत तस्वीर है, जिसे कभी एक कल्पना के रूप में देखा गया था। अब यह कल्पना आकार ले चुकी है — भव्य, सशक्त और दूरदर्शी!
लंदन से दुबई तक, भारत से विश्व तक: एक राजसी यात्रा
फरवरी माह में सनफ्रांस और आरसीबी कंसोर्शियम के बीच हुई ऐतिहासिक साझेदारी ने इस विजन को अंतरराष्ट्रीय उड़ान दी। योजनाएं केवल कागज़ों पर नहीं रहीं, लंदन की राजसी गलियों में डाटा सेंटर विशेषज्ञों और कंपनी प्रतिनिधियों के बीच बैठकों में उन्होंने ठोस रूप लिया। यह कोई आम सहयोग नहीं, बल्कि एक ऐसे युग की शुरुआत है जिसमें भारतीय कंपनियां विश्व मंच पर शाही अंदाज़ में अपने झंडे गाड़ रही हैं।
बोलो से लेकर कियावो तक, हर कदम पर नवाचार
कंपनी इस समय लंदन, कियावो और दुबई जैसे वैश्विक महानगरों में स्मार्ट सिटीज़, अत्याधुनिक डाटा सेंटर और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को मूर्त रूप दे रही है। ये परियोजनाएं केवल ईंट-पत्थर का मेल नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता, पर्यावरणीय जागरूकता और भव्यता का संगम हैं।
हर प्रोजेक्ट समय से पहले: एक शाही परंपरा
15 वर्षों की यात्रा में सनफ्रांस ग्रुप ने हर एक प्रोजेक्ट को समय से पहले पूर्ण कर, न केवल भरोसे की मिसाल कायम की है, बल्कि एक परंपरा भी बनाई है — प्रतिबद्धता की परंपरा, गुणवत्ता की गारंटी और राजसी गति की पहचान।
भविष्य में निवेश: भारत की अगुवाई, विश्व की सराहना
सनफ्रांस ने भारत में रियल एस्टेट, इलेक्ट्रिक व्हीकल, डाटा सेंटर और सोलर एनर्जी जैसे भविष्य-निर्माण क्षेत्रों में भारी निवेश की घोषणा की है। लंदन में रितेश सब्बरवाल से भेंट और बोलो स्थित प्रतिष्ठित डाटा सेंटर का दौरा, भारत में एक विश्वस्तरीय, सुरक्षित और उन्नत डाटा इंफ्रास्ट्रक्चर की नींव रखने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
सनफ्रांस: एक नाम नहीं, एक युग की शुरुआत
सनफ्रांस ग्रुप का यह बहुआयामी विस्तार केवल व्यापार नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया है। यह उस सोच का प्रतीक है जो सीमाओं को नहीं मानती, जो समय से आगे सोचती है, और जो भारत को न केवल आत्मनिर्भर बल्कि वैश्विक नेतृत्व के मंच पर अग्रणी बनाना चाहती है।
यह सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं — यह है एक स्वप्न की गाथा, जो अब विश्व पटल पर साकार हो रही है, शाही अंदाज़ में!